बिहार अब आधारभूत संरचना के क्षेत्र में एक नई मिसाल कायम कर रहा है। राज्य देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है, जहां “ब्रिज मेंटेनेंस पॉलिसी” को आधिकारिक रूप से लागू कर दिया गया है। इस नई नीति के तहत अब सभी पुलों की निगरानी और रखरखाव हाईटेक टेक्नोलॉजी जैसे ड्रोन, सेंसर और डिजिटल मॉनिटरिंग सिस्टम से की जाएगी।
बिहार राज्य पुल प्रबंधन एवं संधारण नीति-2025 की शुरुआत
राज्य के पथ निर्माण मंत्री नीतिन नवीन ने इस पॉलिसी की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यह नीति बिहार में मौजूदा 3968 पुलों, जिनमें 532 मेगा और मेजर ब्रिज शामिल हैं, के सुरक्षित संचालन और दीर्घकालिक उपयोग के लिए बेहद जरूरी थी।
राज्य में बेहतर सड़कों और पुलों की वजह से अब किसी भी कोने से सिर्फ 5 घंटे में पटना पहुँचना संभव हो गया है, जिससे बिहार की अर्थव्यवस्था को एक नई रफ्तार मिली है।
बिहार बना भारत का पहला राज्य
इस ऐतिहासिक नीति को 3 जून को मंत्रिपरिषद की मंजूरी मिली थी। नीतिन नवीन ने बताया कि अन्य राज्यों के मुकाबले बिहार ने ब्रिज मेंटेनेंस के क्षेत्र में पहली बार औपचारिक नीति अपनाई है, जिससे दुर्घटनाओं को रोका जा सकेगा और इंफ्रास्ट्रक्चर की गुणवत्ता बनी रहेगी।
रख-रखाव की योजना होगी 7 चरणों में
नई ब्रिज मेंटेनेंस पॉलिसी के तहत रखरखाव को 7 भागों में बांटा गया है:
- प्रारंभिक सुधार
- सामयिक संधारण
- असाधारण मरम्मति
- लघु सुधार
- नियमित संधारण
- अप्रत्याशित मरम्मति
- पुनः संधारण
अब 60 मीटर से अधिक लंबे पुलों की जिम्मेदारी बिहार राज्य पुल निर्माण निगम के पास होगी, जबकि छोटे पुलों का संधारण स्थानीय पथ प्रमंडल द्वारा किया जाएगा।
IIT दिल्ली और पटना को मिली सेफ्टी ऑडिट की जिम्मेदारी
250 मीटर से अधिक लंबे पुलों की सेफ्टी ऑडिट के लिए दो नामचीन संस्थानों को नियुक्त किया गया है:
- IIT दिल्ली: उत्तर बिहार के 40 पुल
- IIT पटना: दक्षिण बिहार के 45 पुल
इसके लिए कुल 16.61 करोड़ रुपये की परामर्शी राशि तय की गई है। इससे यह स्पष्ट होता है कि बिहार अब इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ-साथ टेक्नोलॉजी और पारदर्शिता में भी नए आयाम गढ़ रहा है।
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