पटना – बिहार सरकार की महत्वाकांक्षी योजना “डिजिटल भूमि रिकॉर्ड्स” के तहत राज्य भर में रैयतों को नया खाता नंबर प्रदान किया जाएगा। राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री आलोक मेहता ने हाल ही में प्रेस वार्ता में जानकारी दी कि भूमि सर्वेक्षण कार्य अपने अंतिम चरण में है और जल्द ही राज्य के सभी जिलों में अपडेटेड खेसरा व खाता नंबर जारी किए जाएंगे।
Also Read: बिहार कैबिनेट ने 30 अहम प्रस्तावों को दी मंजूरी; समस्तीपुर दौरे से पहले नीतीश सरकार की बड़ी सौगात
क्या है पूरा मामला?
बिहार में वर्षों से भूमि विवादों और रिकॉर्ड गड़बड़ियों की समस्या रही है। इसे खत्म करने के लिए राज्य सरकार ने ‘सर्वे व बंदोबस्त योजना’ की शुरुआत की थी, जिसके तहत हर जिले में पुनः सर्वेक्षण किया जा रहा है। इस सर्वेक्षण में प्रत्येक भूमि पर मालिकाना हक, खेसरा संख्या, नक्शा और क्षेत्रफल को डिजिटल रूप से रिकॉर्ड किया जा रहा है।
क्या बोले मंत्री?

राजस्व मंत्री ने बताया:
“भूमि सर्वेक्षण का कार्य लगभग 90% पूर्ण हो चुका है। 2025 के अंत तक सभी रैयतों को नया खाता नंबर दे दिया जाएगा, जिससे अब भूमि विवाद की संभावना न के बराबर रहेगी।”
रैयतों को क्या फायदा होगा?
- हर किसान और ज़मीन मालिक को मिलेगा यूनिक खाता नंबर
- भू-मालिकाना अधिकारों में पारदर्शिता
- ऑनलाइन दाखिल-खारिज की प्रक्रिया होगी आसान
- लोन लेने, जमीन खरीद-बिक्री और सरकारी योजनाओं का लाभ लेने में सुविधा
- भूमि विवादों का डिजिटल समाधान
कब तक पूरा होगा सर्वे?
मंत्री ने बताया कि अधिकतर जिलों में सर्वे का कार्य अंतिम चरण में है और दिसंबर 2025 तक राज्य का पूरा भूमि डाटा ऑनलाइन पोर्टल पर उपलब्ध करा दिया जाएगा।
पोर्टल से जुड़ें:
रैयत dlrs.bihar.gov.in पर जाकर अपनी जमीन से जुड़ी जानकारी देख सकते हैं और अपडेट भी करवा सकते हैं