पटना: — आगामी बिहार विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग (ECI) ने मतदाता सुविधा और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए कई महत्वपूर्ण उपाय लागू किए हैं।
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मुख्य पहलें
- मतदाता-प्रतिबंधित बूथ (पोलिंग स्टेशन)
- प्रत्येक पोलिंग बूथ पर मतदाताओं की संख्या को 1,500 से घटाकर 1,200 कर दिया गया है
- इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए लगभग 12,817 नए बूथ बनाए गए, जिससे कुल बूथों की संख्या बढ़कर 90,712 हुई
- विशेष तीव्र सुधार (SIR) अभियान
- वर्तमान प्रक्रिया के तहत 95.9% से अधिक मतदाताओं की मतदाता-नामावली का सत्यापन हो चुका है (करीब 7.5 करोड़ मतदाता)
- लगभग 41–42 लाख मतदाता अंतिम पते पर नहीं मिले—इसके चलते उनकी पहचान जांच की जा रही है
- दस्तावेज़–आधारित सत्यापन
- जिन राज्यों में 2003 के वोटर डीटा में नाम नहीं होने वाले मतदाताओं के लिए अब कड़े दस्तावेज़–सत्यापन की आवश्यकता है, ताकि फर्जी नामों को हटाया जा सके
- हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने सुझाव दिया है कि आधार, वोटर ID, राशन कार्ड जैसे दस्तावेज़ भी स्वीकारें जाएँ
- वोटर-केंद्रित पहलों और तकनीकी सुधार
- ECI ने 18 पहलें शुरू की हैं—जिसमें मोबाइल फोन के डिपॉजिट स्टेशन, चुनाव प्रचार हेतु नए मानदंड, और इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफ़ॉर्म ECINET की शुरुआत शामिल है

मतदाताओं को हो रही सुविधा
- उपलब्ध बूथ: अब मतदाताओं को मतदान करने के लिए लंबा इंतज़ार नहीं करना पड़ेगा।
- नए बूथ: नए बूथ मुख्य रूप से शहरी और ग्रामीण दोनों इलाकों में स्थापित किए गए हैं, जिससे सुविधा में वृद्धि हुई ।
- तकनीकी मदद: ECINET जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म और सुविधापूर्ण प्रबंधन से मतदाता-केंद्रित प्रक्रिया में तेजी आई है।
विवाद और चिंताएँ
- विपक्ष ने SIR को कुछ वर्गों का भेदभाव बताकर “वोटबंदी” कहकर आलोचना की है
- RJD ने सुप्रीम कोर्ट में यह चुनौती दी है, जबकि कांग्रेस ने लगभग 2 करोड़ प्रवासी मतदाताओं की चिंता जताई है
- ECI ने स्पष्ट किया कि यह प्रक्रिया कानूनी और संवैधानिक है, और सभी विवादों के बावजूद सावधानीपूर्वक एवं पारदर्शी तरीके से लागू की जा रही है