पटना: राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLMP) प्रमुख और पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने बिहार के मुख्यमंत्री और JDU अध्यक्ष नीतीश कुमार को उनके बेटे निशांत कुमार के जन्मदिन (20 जुलाई) पर एक महत्वपूर्ण राजनीतिक संदेश दिया। कुशवाहा ने सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से आग्रह किया कि “समय और परिस्थिति की नजाकत को समझते हुए” नीतीश कुमार को JDU की कमान निशांत को सौंप देनी चाहिए, क्योंकि अब पार्टी नेतृत्व परिवर्तन का उपयुक्त समय आ चुका है
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कुशवाहा का मुख्य संदेश:
- उन्होंने कहा, “अब सरकार और पार्टी दोनों का संचालन स्वयं उनके लिए उचित नहीं” और यह “दल के हित में निर्णय” लेने का समय है।
- यह सलाह केवल उनकी व्यक्तिगत राय नहीं, बल्कि हजारों कार्यकर्ताओं और नेताओं की भावना को दर्शाती है
- कुशवाहा ने यह स्पष्ट किया कि यह निर्णय जदयू के वरिष्ठ नेता कहने में असमर्थ होंगे—इसीलिए वे सार्वजनिक रूप से कह रहे हैं

इससे क्या संकेत मिलते हैं?
- यह सलाह जदयू में नेतृत्व हस्तांतरण की राजनीतिक तैयारियों का संकेत हो सकता है।
- यह खुले तौर पर यह धारणा प्रस्तुत करता है कि निशांत कुमार को नीतीश कुमार की राजनीतिक विरासत संभालने की भूमिका मिल सकती है।
निशांत कुमार की प्रतिक्रिया:
- जन्मदिन के अवसर पर निशांत ने पटना के महावीर मंदिर में पूजा-अर्चना की और स्पष्ट तौर पर राजनीति में आने की未来 संकेत दिए। उन्होंने कहा,
“प्रदेशवासियों को विश्वास है कि पिताजी ने जो 20 साल में काम किया है, उसका फल जरूर मिलेगा” और “एनडीए को विजयी बनाएं, फिर से पिताजी को मुख्यमंत्री बनाएं” - पार्टी कार्यालय के बाहर पोस्टर्स अचानक उतर आए, जिनमें लिखा था: “बिहार की मांग सुन लिए निशांत…बहुत-बहुत धन्यवाद”, जिससे संकेत मिलता है कि पार्टी के कुछ कार्यकर्ता निशांत को सक्रिय राजनीति में जल्दी लाना चाहते हैं
राजनीतिक परिदृश्य पर असर:
- कुशवाहा की सलाह से देखा जा रहा है कि JDU में भीतरखाने का नेतृत्व परिवर्तन सवालों के घेरे में आ गया है।
- चूंकि नीतीश कुमार आठवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री हैं, उनकी “कमी” कहने वाले विपक्षी नेताओं का इस्तेमाल करने की संभावना भी बढ़ सकती है।
संक्षेप में:
- उपेंद्र कुशवाहा ने जन्मदिन के मौके पर स्पष्ट इशारा किया है कि नीतीश कुमार अब जदयू की कमान छोड़ें और निशांत को तैयार करें।
- निशांत कुमार ने इस सलाह को चुपचाप स्वीकार करते हुए आत्मीयता से समर्थन जताते हुए चुनावी रणनीति की ओर इशारा किया।
- यह घटनाक्रम JDU में नेतृत्व हस्तांतरण पर नई बहस को जन्म दे रहा है, जिससे बिहार की राजनीति में नए समीकरण बन सकते हैं।