Startup Business Idea: आज हम आपको एक ऐसी Startup Success Story बताने जा रहे हैं जो हर युवा और नए उद्यमी के लिए प्रेरणा है। भुवनेश्वर के दो दोस्तों ने अपनी सुरक्षित नौकरी छोड़कर ऐसा कदम उठाया जिसने उनकी पूरी जिंदगी बदल दी। उन्होंने पारंपरिक ओड़िया मिठाइयों पर आधारित व्यवसाय शुरू किया और आज उनका ब्रांड “मो पिठा” लाखों लोगों का भरोसा जीत चुका है।
महामारी बनी बदलाव की वजह
साल 2020-21 की महामारी का दौर हर किसी के लिए कठिनाई भरा रहा। भुवनेश्वर के दो युवा भी उस समय जरूरतमंदों की मदद में लगे थे। इसी दौरान उन्होंने महसूस किया कि लोग पारंपरिक ओड़िया मिठाइयों का स्वाद तो पसंद करते हैं, लेकिन स्वच्छता और गुणवत्ता की कमी की वजह से लोग इन्हें खरीदने में हिचकिचाते हैं। इस अनुभव ने दोनों युवाओं को सोचने पर मजबूर किया। उन्हें लगा कि अगर यही पारंपरिक मिठाइयाँ साफ-सफाई, आधुनिक पैकेजिंग और ब्रांडिंग के साथ प्रस्तुत की जाएँ तो ये मार्केट में बड़ी सफलता हासिल कर सकती हैं। यही विचार आगे चलकर उनके स्टार्टअप का आधार बना।
‘मो पिठा’ का जन्म
महामारी के तुरंत बाद, साल 2021 में दोनों दोस्तों ने अपनी स्थिर और सुरक्षित नौकरियाँ छोड़ दीं और पूरी तरह से इस नए बिज़नेस आइडिया पर दांव लगाया। उन्होंने अपने ब्रांड का नाम रखा – “मो पिठा”। यह नाम ओड़िया भाषा से लिया गया है, जिसका अर्थ है “मेरा पिठा”। नाम में ही अपनापन और स्थानीय संस्कृति झलकता है। इस ब्रांड की सोच केवल मिठाइयाँ बेचने तक सीमित नहीं रही, बल्कि इसका असली मकसद था – ओड़िया परंपरा को आधुनिक तरीके से जिंदा करना और दुनिया तक पहुँचाना।
महिलाओं को मिला रोजगार और आत्मनिर्भरता का अवसर
इस स्टार्टअप की सबसे बड़ी खासियत रही कि संस्थापकों ने केवल पेशेवर शेफ्स को मौका नहीं दिया, बल्कि गृहिणियों और स्थानीय महिलाओं को आगे बढ़ाया। ये महिलाएँ बचपन से पारंपरिक मिठाइयाँ बनाने में माहिर थीं, लेकिन उन्हें कभी रोजगार का अवसर नहीं मिला था। दोनों दोस्तों ने घर-घर जाकर इन महिलाओं को ढूँढा और उन्हें अपने ब्रांड से जोड़ा।
शुरुआत केवल 8 महिलाओं से हुई, जिन्हें ट्रेनिंग दी गई और धीरे-धीरे ये संख्या बढ़कर 40 से अधिक हो गई। इस कदम ने न केवल मिठाइयों का असली स्वाद बरकरार रखा, बल्कि समाज में महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में बड़ा योगदान दिया।
बिक्री और लोकप्रियता में लगातार वृद्धि
‘मो पिठा’ की शुरुआत भुवनेश्वर के साहिद नगर में एक छोटे से आउटलेट से हुई। शुरुआती दिनों में रोजाना केवल कुछ हजार रुपये की बिक्री होती थी, लेकिन ग्राहकों ने ब्रांड के स्वाद और गुणवत्ता पर भरोसा जताया। धीरे-धीरे ग्राहकों की संख्या बढ़ती गई और बिक्री कई गुना हो गई।
इस सफलता ने यह साबित कर दिया कि अगर पारंपरिक उत्पादों को सही तरीके से प्रस्तुत किया जाए, तो वे आधुनिक बाजार में भी अपनी मजबूत जगह बना सकते हैं। समय के साथ ‘मो पिठा’ ने शहर के कई हिस्सों में अपने आउटलेट्स शुरू किए और ग्राहकों का भरोसा और बढ़ता चला गया।
अब बना सफल ब्रांड
आज ‘मो पिठा’ सिर्फ एक दुकान नहीं, बल्कि एक ब्रांड बन चुका है। सालाना टर्नओवर अब 45 लाख रुपये से अधिक हो गया है। साथ ही यह ब्रांड 40 से ज्यादा महिलाओं को रोजगार दे रहा है। इनमें से कुछ स्थायी कर्मचारी हैं, जबकि कई महिलाएँ ऑर्डर के हिसाब से काम करती हैं।
इस स्टार्टअप की सफलता ने दिखा दिया कि अगर सोच मजबूत हो और मेहनत सही दिशा में की जाए तो परंपरा को आधुनिक बिजनेस में बदलकर बड़ा अवसर बनाया जा सकता है।
पारंपरिक स्वाद की असली पहचान
‘मो पिठा’ में बनाई जाने वाली मिठाइयाँ सिर्फ खाने का सामान नहीं बल्कि संस्कृति और परंपरा का अनुभव हैं। इस ब्रांड में अरीसा, ककर, एंडुरी और सीजा मंडा जैसी पारंपरिक ओड़िया मिठाइयाँ बनाई जाती हैं। इन मिठाइयों की खासियत यह है कि इन्हें अब भी हाथों से बनाया जाता है और आधुनिक मशीनों का इस्तेमाल बहुत कम किया जाता है।
यही कारण है कि इन मिठाइयों का स्वाद ग्राहकों को घर जैसा एहसास कराता है। आधुनिक पैकेजिंग के साथ परोसी गई ये मिठाइयाँ न केवल युवाओं को आकर्षित करती हैं बल्कि बुजुर्गों को भी अपने बचपन का स्वाद याद दिलाती हैं।
भुवनेश्वर से बेंगलुरु तक का विस्तार
शुरुआत भुवनेश्वर से हुई थी, लेकिन आज ‘मो पिठा’ ने बेंगलुरु जैसे मेट्रो शहर तक अपनी पहुँच बना ली है। वहाँ की व्यस्त शहरी जिंदगी में यह ब्रांड लोगों को स्थानीय परंपरा और नएपन का अनोखा मिश्रण प्रदान कर रहा है।
जैसे-जैसे विस्तार हो रहा है, वैसे-वैसे और अधिक महिलाओं को रोजगार मिल रहा है। आने वाले समय में यह ब्रांड देश के अन्य राज्यों और शहरों में भी अपनी पहचान बना सकता है।
डिस्क्लेमर: यह लेख केवल जानकारी देने के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी निवेश या व्यवसाय शुरू करने से पहले विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें।