बिहार का पहला न्यूक्लियर पावर प्लांट इस जिले में बनेगा, नीतीश सरकार ने केंद्र को भेजा प्रस्ताव

बिहार अब ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में भी बड़ी छलांग लगाने जा रहा है। राज्य में पहली बार न्यूक्लियर पावर प्लांट (Nuclear Power Plant) स्थापित करने की दिशा में कदम बढ़ाया गया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार सरकार ने केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेज दिया है, जिसमें इस पावर प्लांट को एक चयनित जिले में स्थापित करने की मांग की गई है।

कहां बनेगा यह न्यूक्लियर पावर प्लांट?

प्रस्तावित परियोजना के अनुसार, बिहार का पहला न्यूक्लियर पावर स्टेशन आरा-बक्सर या पश्चिम चंपारण जिले में स्थापित किया जा सकता है। इन दोनों क्षेत्रों की भौगोलिक स्थिति, भूमि उपलब्धता और तकनीकी अनुकूलता को देखते हुए इन्हें उपयुक्त माना गया है।

राज्य सरकार ने केंद्र को आवश्यक भूमि की पहचान, परिवहन नेटवर्क, और जल संसाधनों की रिपोर्ट के साथ प्रस्ताव भेजा है।

क्यों जरूरी है न्यूक्लियर पावर प्लांट बिहार में?

  • बिहार की ऊर्जा खपत पिछले वर्षों में कई गुना बढ़ी है।
  • कोयला और गैस आधारित बिजली उत्पादन पर निर्भरता अधिक है, जिससे लागत बढ़ रही है।
  • न्यूक्लियर एनर्जी साफ, सतत और उच्च क्षमता वाली होती है।
  • यह पावर प्लांट हर मौसम में बिजली उत्पादन कर सकेगा।

केंद्र से सहयोग की उम्मीद

राज्य सरकार को उम्मीद है कि केंद्र सरकार की ओर से परमाणु ऊर्जा विभाग (Department of Atomic Energy) और NPCIL (Nuclear Power Corporation of India Ltd) इस प्रस्ताव पर जल्द निर्णय लेंगे। यदि स्वीकृति मिलती है, तो यह प्रोजेक्ट बिहार को देश के न्यूक्लियर मैप पर ला खड़ा करेगा।

क्या होंगे इसके लाभ?

लाभ विवरण
बिजली उत्पादन1000 मेगावाट से अधिक क्षमता संभव है।
औद्योगिक विकासऊर्जा की उपलब्धता से उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा।
रोजगारहजारों युवाओं को निर्माण और संचालन में नौकरी मिलेगी।
पर्यावरण संरक्षणयह हरित ऊर्जा है, जिससे प्रदूषण नहीं होता।

क्या कहा सरकार ने?

राज्य के ऊर्जा मंत्री ने बताया कि,“बिहार को आत्मनिर्भर बनाना है, तो ऊर्जा क्षेत्र में निवेश जरूरी है। हमने केंद्र को विस्तृत DPR (Detailed Project Report) भेज दी है और ज़मीन भी उपलब्ध है। केंद्र से हरी झंडी मिलते ही निर्माण कार्य शुरू किया जाएगा।”

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आगे की राह

फिलहाल, केंद्र सरकार की तकनीकी समिति इस प्रस्ताव की समीक्षा कर रही है। यदि मंजूरी मिलती है, तो यह प्रोजेक्ट बिहार में 2026-27 तक शुरू हो सकता है

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