पटना : बिहार की राजनीति एक बार फिर से करवट ले रही है। विधानसभा चुनाव 2025 से पहले सियासी गठजोड़ और समीकरण तेजी से बदलते नजर आ रहे हैं। इसी कड़ी में एक बड़ी खबर सामने आ रही है – महागठबंधन (INDIA ) में जल्द ही एक बड़ी पार्टी के शामिल होने की पुष्टि हो चुकी है।
सूत्रों के मुताबिक, यह पार्टी लंबे समय से एनडीए से दूरी बनाए हुए थी और अब उसने तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाले महागठबंधन का हाथ थामने का निर्णय लिया है। इससे न सिर्फ महागठबंधन की ताकत बढ़ेगी, बल्कि एनडीए के लिए चुनौती भी और गंभीर हो जाएगी।

कौन सी है ये बड़ी पार्टी?
हालांकि आधिकारिक घोषणा अभी बाकी है, लेकिन अटकलें लगाई जा रही हैं कि यह पार्टी वामपंथी खेमे या कोई क्षेत्रीय प्रभावशाली दल हो सकती है, जो पिछले लोकसभा चुनाव में अकेले लड़कर ज्यादा फायदा नहीं उठा पाई थी। अब वह अपने जनाधार को मजबूत करने के लिए महागठबंधन में शामिल होना चाहती है।
क्यों अहम है यह गठजोड़?
- 2024 लोकसभा चुनाव में महागठबंधन का प्रदर्शन मिला-जुला रहा था, लेकिन अब विधानसभा की रणनीति नए सिरे से बनाई जा रही है।
- इस नई पार्टी के आने से महागठबंधन को कई ओबीसी, अल्पसंख्यक और ग्रामीण वोट बैंक में सीधा लाभ मिल सकता है।
- तेजस्वी यादव खुद कई मौकों पर “जनता में बदलाव की लहर” का दावा कर चुके हैं और लगातार विपक्षी दलों को एकजुट करने में लगे हैं।
बयानबाजी शुरू
एनडीए की ओर से इस संभावित गठजोड़ पर तंज और चिंता दोनों दिखाई दे रही है। भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने इसे “स्वार्थ की राजनीति” करार दिया है, वहीं जदयू का कहना है कि जनता सब देख रही है, गठजोड़ से वोट नहीं मिलते, काम से मिलता है।