₹31,500 प्रति हेक्टेयर की बड़ी सौगात! जानें कौन किसान उठा पाएंगे PKVY Yojana का फायदा

PKVY Yojana

PKVY Yojana: भारत में तेजी से बदलते कृषि परिदृश्य में पारंपरिक खेती की जगह अब जैविक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। केंद्र सरकार किसानों को जैविक खेती की ओर प्रोत्साहित करने के लिए परम्परागत कृषि विकास योजना (PKVY) और मिशन ऑर्गेनिक वैल्यू चेन डेवलपमेंट (MOVCDNER) जैसी योजनाएं चला रही है। इन योजनाओं का मुख्य उद्देश्य किसानों की आय बढ़ाना, मिट्टी की सेहत सुधारना और पर्यावरण को सुरक्षित रखना है।

PKVY Yojana के तहत आर्थिक सहायता

परम्परागत कृषि विकास योजना (PKVY) पूरे देश में लागू है। इस योजना में किसानों को तीन वर्षों में प्रति हेक्टेयर ₹31,500 की आर्थिक सहायता दी जाती है। इसमें से ₹15,000 की राशि डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) के जरिए सीधे किसानों के खाते में पहुंचाई जाती है। बाकी राशि का उपयोग जैविक खाद, बीज और अन्य आवश्यक इनपुट खरीदने के लिए किया जाता है। यह योजना खासकर लघु और सीमांत किसानों के लिए फायदेमंद है, ताकि वे कम लागत में जैविक खेती अपना सकें।

MOVCDNER योजना केवल पूर्वोत्तर राज्यों के लिए

पूर्वोत्तर भारत में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने मिशन ऑर्गेनिक वैल्यू चेन डेवलपमेंट फॉर नॉर्थ ईस्ट रीजन (MOVCDNER) लागू किया है। इस योजना के तहत किसानों को तीन वर्षों में प्रति हेक्टेयर ₹46,500 की मदद दी जाती है। इसमें ₹32,500 जैविक इनपुट्स पर खर्च होता है, जबकि ₹15,000 राशि सीधे किसानों को DBT के माध्यम से मिलती है। इसके साथ ही किसान उत्पादक संगठन (FPOs) के गठन को भी प्रोत्साहन दिया जाता है, ताकि किसानों को सामूहिक रूप से बेहतर बाजार और उचित दाम मिल सके।

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किसानों को एंड-टू-एंड सपोर्ट

इन योजनाओं का उद्देश्य सिर्फ आर्थिक सहयोग देना नहीं है, बल्कि किसानों को पूरी जैविक खेती प्रक्रिया में मदद करना है। इसमें बीज की उपलब्धता, जैविक खाद, फसल प्रमाणन, पैकेजिंग और विपणन जैसी सभी सेवाएं शामिल हैं। सरकार का लक्ष्य है कि किसानों को खेती से लेकर बाजार तक हर स्तर पर सहयोग मिले। इससे न केवल उनकी आय बढ़ेगी, बल्कि भारत आने वाले समय में वैश्विक स्तर पर जैविक उत्पादों का प्रमुख केंद्र भी बन सकता है।

निष्कर्ष

PKVY और MOVCDNER जैसी योजनाएं किसानों के लिए अवसर लेकर आई हैं, जिससे वे कम लागत में जैविक खेती कर सकते हैं। इन योजनाओं से मिट्टी और पर्यावरण की सेहत भी सुरक्षित रहेगी और किसानों की आय में इजाफा होगा। खासकर छोटे और सीमांत किसानों के लिए ये योजनाएं गेम-चेंजर साबित हो सकती हैं।

डिस्क्लेमर: यह लेख सरकारी योजनाओं की सार्वजनिक जानकारी पर आधारित है। किसी भी लाभ के लिए आवेदन से पहले आधिकारिक पोर्टल पर दिशा-निर्देश जरूर देखें।

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