समस्तीपुर में स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना में 1.74 करोड़ का फर्जीवाड़ा, जांच रिपोर्ट डीएम को सौंपी गई

Pratik Yadav

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समस्तीपुर: आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को उच्च शिक्षा के लिए सहायता प्रदान करने हेतु बिहार सरकार द्वारा वर्ष 2016 में शुरू की गई स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। समस्तीपुर जिले के कल्याणपुर प्रखंड अंतर्गत मालीनगर स्थित ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ पारा मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च संस्थान पर 1 करोड़ 74 लाख 71 हजार 790 रुपए के लोन घोटाले का आरोप है।

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योजना का मकसद और शर्तें

इस योजना के तहत छात्रों को अधिकतम चार लाख रुपए तक का शिक्षा ऋण मिलता है। पुरुषों के लिए 4% ब्याज दर, जबकि लड़कियों, ट्रांसजेंडर और दिव्यांग छात्रों के लिए मात्र 1% ब्याज दर निर्धारित है। यह लोन कोर्स पूरा होने के बाद नौकरी पाकर चुकाना होता है।

कैसे हुआ घोटाला उजागर?

जिलाधिकारी रोशन कुशवाहा के निर्देश पर एडीएम (आपदा प्रबंधन) राजेश कुमार सिंह को इस मामले की जांच सौंपी गई थी। जांच में पाया गया कि संस्थान ने 117 छात्रों के नाम पर शिक्षा ऋण लिया, लेकिन इनमें से किसी को भी कोई डिग्री नहीं दी गई, और न ही संस्थान में वास्तविक शैक्षणिक गतिविधियां संचालित की गईं।

जांच रिपोर्ट में क्या कहा गया?

एडीएम ने अपनी रिपोर्ट में इस पूरे मामले को “शैक्षणिक क्रेडिट लूट” बताया है। रिपोर्ट के अनुसार:

  • संस्थान का गठन शिक्षा देने के उद्देश्य से नहीं, बल्कि सरकारी योजना की राशि हड़पने के लिए किया गया।
  • वर्ष 2018-19 में 83.24 लाख और 2019-20 में 91.47 लाख, कुल 1.74 करोड़ रुपये का लोन लिया गया।
  • संस्थान ने दावा किया कि 26 शिक्षकों को नकद में 82.41 लाख का वेतन दिया गया, लेकिन कोई भी अकादमिक दस्तावेज या साक्ष्य उपलब्ध नहीं कराए गए।
  • सभी खर्च नकद में किए गए ताकि कोई लेखा-जोखा न रहे और साक्ष्य मिटाए जा सकें।

जांच के दौरान चौंकाने वाले खुलासे

  • शिक्षकों की कागजों पर ही नियुक्ति की गई।
  • छात्रों को नामांकन के नाम पर भविष्य के सपने दिखाकर फंसाया गया।
  • थर्ड पार्टी वेरिफिकेशन एजेंसी की लापरवाही भी सामने आई, जिसने बिना ठोस जांच के लोन की मंजूरी दे दी।
  • 25 जनवरी 2020 से संस्थान की सभी प्रोसेसिंग पर रोक लगाई गई थी, फिर भी कुछ गतिविधियां जारी रहीं।

क्या कार्रवाई हुई अब तक?

फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद संस्थान के अध्यक्ष, सचिव, प्राचार्य और थर्ड पार्टी एजेंसी पर एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया गया था। लेकिन आश्चर्य की बात यह रही कि शिक्षा विभाग ने एफआईआर पर रोक लगाते हुए दोबारा जांच के आदेश दे दिए। अब देखना है कि जांच रिपोर्ट के समर्पण के बाद क्या ठोस कार्रवाई होती है।

डीएम का बयान:

“स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना में अनियमितता को लेकर जो भी तथ्य सामने आए हैं, उसकी रिपोर्ट विभाग को भेज दी गई है। आगे की कार्रवाई विभाग स्तर पर की जाएगी।”
रोशन कुशवाहा, जिलाधिकारी, समस्तीपुर

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