हिमाचल प्रदेश इस वर्ष के भीषण मॉनसून की चपेट में है। 20 जून से 23 जुलाई तक राज्य में भारी बारिश, भूस्खलन और फ्लैश फ्लड की घटनाओं में अब तक 137 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि कई अभी गुम शुमार हैं।
जानलेवा बारिश और आकंड़े
- 64 बारिश से संबंधित हादसों में, जैसे कि भूस्खलन, क्लाउडबर्स्ट और फ्लड्स के कारण मौतें हुईं।
- ठीक 45 लोग फ्लड्स के साथ सड़क हादसों में अपनी जान गंवा चुके हैं।
- राज्य की जनसांख्यिकीय जान-माल की भयावह क्षति, जिसमें पशु, बिजली और जलापूर्ति प्रणालियाँ भी बुरी तरह प्रभावित हुई हैं

अवरुद्ध सड़कें, बिजली व पानी बंद, राहत कार्य चुनौतीपूर्ण
- हिमाचल में 344 से 460 से अधिक सड़कें बंद हैं, इनमें एसईओसी और स्थानीय अधिकारियों द्वारा 345 यातायात मार्ग नामित किए गए हैं।
- सबसे worst-hit मंंडी जिला है जहाँ 232 सड़कों पर यातायात बाधित है। कुल मिलाकर राज्यभर में 98 ट्रांसफॉर्मर और 65 जल आपूर्ति योजनाएँ अभी भी ठप हैं
- राज्य के जल और विद्युत विभागों की क्षति ₹1,382.1 करोड़ तक पहुंच चुकी है जो प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती है।
लोक प्रभावित, राहत और बहाली कार्य जारी
- कई जिलों में राहत शिविर संचालित हैं, और 393 लोग अभी भी वसूली शिविरों में रह रहे हैं।
- Mandi जिले में ₹708 करोड़, जबकि Thunag क्षेत्र में ₹394 करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ है।
- केंद्र सरकार से ₹5,000 करोड़ से अधिक राहत राशि का आंशिक वितरण हुआ है, जिसमें SDRF/NDRF की मदद प्रमुख है।
मौसम विभाग की चेतावनियाँ और प्रशासनिक तैयारी
- IMD की ओर से कई जिलों में यॉले व ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है, जिसमें 27 से 29 जुलाई तक भारी बारिश की चेतावनी शामिल है।
- भारी से बहुत भारी बारिश की आशंका के मद्देनजर प्रशासन द्वारा आपदा नियंत्रण प्रोटोकॉल सक्रिय किए गए हैं।