बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर चुनाव आयोग ने व्यापक तैयारियों की शुरुआत कर दी है। इस बार वोटर लिस्ट को पूरी तरह सही और पारदर्शी बनाने के उद्देश्य से डोर-टू-डोर सर्वे शुरू किया जाएगा। यह विशेष सर्वे अगले महीने से पूरे राज्य में चलेगा।
गौरतलब है कि ऐसा सर्वे आखिरी बार 2004 में हुआ था, यानी पूरे 21 साल बाद चुनाव आयोग एक बार फिर घर-घर जाकर वोटर लिस्ट को अपडेट करेगा। उद्देश्य यह है कि बिहार की वोटर लिस्ट में सिर्फ वही नाम रहें, जो वास्तव में बिहार के निवासी हैं।
दूसरे राज्यों में बना लिया वोटर कार्ड? हट जाएगा नाम!
चुनाव आयोग ने साफ किया है कि जो लोग बिहार से बाहर जाकर, जैसे दिल्ली, मुंबई या अन्य राज्यों में वोटर कार्ड बनवा चुके हैं, उनके नाम बिहार की वोटर लिस्ट से हटा दिए जाएंगे। इसका मकसद दोहरी वोटिंग और चुनावी गड़बड़ियों पर रोक लगाना है।
राजनीतिक विवादों पर लगेगा विराम
चुनाव आयोग का मानना है कि इस कवायद से वोटर लिस्ट को लेकर राजनीतिक दलों की शंकाएं भी दूर होंगी। जैसे कि दिल्ली, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में विपक्ष अक्सर वोटर लिस्ट पर सवाल उठाता रहा है — बिहार में इसे एक मॉडल प्रयोग के रूप में देखा जा रहा है।
बीएलओ करेंगे घर-घर सर्वे
इस सर्वे के तहत बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर) हर घर जाकर जांच करेंगे। जो लोग मौके पर नहीं मिलेंगे, उनके नाम हटाए जाएंगे। साथ ही जिनके वोटर कार्ड में गलत जानकारी या त्रुटियां होंगी, उन्हें मौके पर सुधारने की प्रक्रिया भी की जाएगी।
मुख्य चुनाव आयुक्त का संभावित दौरा

सूत्रों के अनुसार, मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार और अन्य आयुक्त 10 जुलाई से पहले बिहार दौरे पर आ सकते हैं, ताकि सर्वे की निगरानी और दिशा तय की जा सके।
अब तक कितने बदलाव हुए?
पिछले एक साल में करीब 3.15 करोड़ वोटरों ने वोटर कार्ड में संशोधन के लिए आवेदन किया है। इनमें 46.26 लाख लोग नए पते पर स्थानांतरित हुए हैं, जबकि 2.32 करोड़ कार्ड में त्रुटियों का सुधार हुआ है।
यह डोर-टू-डोर सर्वे बिहार के लोकतंत्र को और मजबूत करने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है। Musrigharari.com इस अभियान से जुड़ी हर अपडेट आप तक पहुंचाता रहेगा।